SRCPA Weekend theatre workshop presents "Pralay Ki Chaya" Hindi Play

SRCPA Weekend theatre workshop Pralay Chaya Play Shri Ram Centre Creative


Entry : Free (Seating on First-Come First-Served Basis)

Venue : Shri Ram Centre for Performing Arts (SRCPA), 4, Safdar Hashmi Marg, Mandi House, New Delhi-110001
Venue Info : Events | About | Map | Narest Metro Station - 'Mandi House' Gate No. 1 (Blue Line and Violet Line
Area :  Mandi House

Event Description : Shri Ram Centre for Performing arts Weekend theatre workshop presents "Pralay Ki Chaya" Hindi Play. 

Long poem "Pralay Ki Chaya" is going to be staged, this performance is an attempt to give new dimensions to theater of poems (Theater of Poetry). 
A poem provides a wide scope of creativity giving opportunity to explore new horizons of theater as an art form. 

"Pralay Ki Chaya" is a perfect blend of physical, classical and musical theater. Woven around lives of Rani Kamla of Gujarat, Gurjaresh, Rani Padmini, Allaudin and many other historical characters, this poem is very much relevant today. We humbly urge you to be part of this beautifully crafted piece of history. Design and Direction: Rama Yadav


Pralay ki chaya brings out situations of conflict giving audiences a lot to absorb and think upon.

!!.... जयशंकर प्रसाद की कविता ...!!

Design & Direction: Rama Yadav 

सेट डिजाइन एवं पोस्टर : Mayank Gupta

संगीत संयोजन एवं सञ्चालन : Ujjwal Raj Pathak  

वेश विन्यास : Ajay Singh, Surjeet Yadav, Shweta Verma

प्रलय की छाया जयशंकर प्रसाद की लम्बी कविता का मंचन न जाने कब से करना था अब संभव बना l कविताओं का मंचन एक पहल है l इस कड़ी में इस बार प्रलय की छाया आप सबके सामने हैं l प्रलय की छाया प्रसाद की उन कविताओं में से है जिसमें अनेक विरोधी रसों का और भावों का समावेश हुआ है और यह विरोधी भाव और रस जब एक दूसरे से टकराते हैं तो उसमें मंचीय संभावनाएं इस कदर उभर कर आती हैं कि मेरा निर्देशकीय मन उससे अछूता नहीं रह सका l प्रलय की छाया की परिकल्पना एक दिन की नहीं है यह परिकल्पना सालों - साल कहीं मन में पल - बढ़ रही थी और अब इसे इसका सही मुकाम इसका मंच मिल रहा है l

कृष्णगुरुवार्तिका जल चुकी स्वर्ण पात्र के अभिमान में ये वो पंक्तियाँ हैं

जो मन में जाकर कहीं धंस गयीं थीं बार - बार मस्तिष्क में घूमती थीं l रंगकर्म बचपन से ही साथ है पर पिछले बीस सालों में लगातार जब मंच पर सक्रीय रही तो रानी कमला बार - बार आकर दरवाज़ा खड़खड़ाती रही l योरोप प्रवास के दौरान जितनी बार मीराबाई किया उतनी ही बार यह भी लगा कि राजस्थान के पासा ही गुजरात है और गुजरात में एक कमलावती भी थी l कई बार मीरा करते - करते कमला की त्रासदी पर विचार करने लगती और बहुत बार लगा उसे करूँ पर साथ ही यह भी लगा कि कमला के विरोधी भावों को अभिव्यक्ति देने के लिए अभी थोडा और समय उस पर सोचा जाना ज़रूरी l

प्रलय की छाया लिखते हुए प्रसाद के मन में पद्मावती और कमला दोनों रहीं l राजस्थान की रानी पद्मावती ने जोहर किया था और अलाउदीन ने मुंह की खायी थी परंतू उसी के लगभग समकालीन गुजरात की रानी कमला भी थी जो की रजा कर्णदेव की पत्नी थीं l अलाउदीन ने जब गुजरात पर आक्रमण किया तो रजा कर्न्देब तो भाग गए पर रानी कमला को बंदिनी बना लिया गया l कवी ने कमला के साथ भरपूर संवेदना रखी है परन्तु फिर भी उनका अपना निष्कर्ष है l नाटक का निर्देशन करते समय कविता की एक भी पंक्ति को नहीं छोड़ा गया न उसके साथ छेड़छाड़ की गयी परन्तू फिर भी कमला का जो चरित्र रिहार्सल्स में उभरकर आया वो आज की सोच के हिसाब से है l

मेरे हिसाब से प्रलय की छाया इस रूप में और इस क्राफ्ट के साथ पहली ही बार दर्शकों के सामने आ रही है l

इसमें निर्देशन में महत्वपूर्ण सहयोग मयंक गुप्ता का रहा साथ ही उज्जवल पाठक , अजय , सुरजीत और आदित्य तथा श्वेता की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही l  धन्यवाद  नाटक का समर्पण अपने सभी गुरुजनों  और बड़ों के नाम  नाटक आप सबके सामने है  आपका स्वागत है

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SRCPA Weekend theatre workshop presents "Pralay Ki Chaya" Hindi Play SRCPA Weekend theatre workshop presents "Pralay Ki Chaya" Hindi Play Reviewed by DelhiEvents on Monday, August 26, 2019 Rating: 5

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