THEATRE : Parvatiya Kala Kendra presents "Ashtavakra" Hindi play at The Little Theatre Group Auditorium (LTG), Copernicus Marg > 7pm on 28th & 29th January 2016
Time : 7:00 pm
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28/01/2016 19:00
29/01/2016 20:30
Asia/Kolkata
THEATRE : Parvatiya Kala Kendra presents "Ashtavakra" Hindi play
Event Page : http://www.delhievents.com/2016/01/theatre-parvatiya-kala-kendra-presents.html
The Little Theatre Group Auditorium (LTG), Copernicus Marg, Mandi House, New Delhi-110001
DD/MM/YYYY
Entry : Free (Seating on First-Come First-Served Basis)
Venue : The Little Theatre Group Auditorium (LTG), Copernicus Marg, Mandi House, New Delhi-110001
Landmark : Next to Kamani Auditorium
Venue Info : Events | About | Nearest Metro Station - 'Mandi House (Blue Line and Violet Line) Exit Gate - 4'
Area : Mandi House Area Events
Event Description : Parvatiya Kala Kendra presents "Ashtavakra" Hindi play.
ऋषि अष्टावक्र जिन्हें अष्टावक्र गीता के रचेयता कहा जाता है यह नाटक उनके जीवन पे आधारित एक पौराणिक नाटक है। वो जीवन जो अत्यंत जटिल एवं कठिन भी था। यह नाटक दर्शाता है एक कुपोषित वक्रांगी नवयुवक अपने मनोबल से कैसी भी विकट परिस्थिति का सामना कर एक आदर्श स्थापित कर सकता है। श्री ब्रजेन्द्र शाहजी ने बहुत निपुणता से दो युगों को एक कथानक में बांध दिया। द्वापर युग के अंतिम चरण में सम्राट युधिष्ठिर को अष्टावक्र की प्रेरणा-स्तोत्र कथा सुनाई जाती है जो त्रेता युग में घटित हुई थी। यही इस मूल नाटक का प्रमुख कथानक है।
माँ सुजाता और ऋषि कहोड को एक पुत्र हुआ जो कुपोषण से ग्रसित हो वक्रांगी था। अपने परिवार का पोषण करने हेतु ऋषि कहोड तत्कालीन राजा जनक के दरबार में चल रहें शास्त्रार्थ और वाद-विवाद समारोह में जाने का मन बनाते हैं। वहाँ बंदी नामक एक महापंडित अनेकों को परास्त कर चुका था और उन्हें दंड स्वरूप एक गुप्त स्थान पर भेज दिया जाता था। धीरे-धीरे जंबू-द्वीप में विद्वानों का आभाव होने लगा। कहोड भी वहीं पहुँचें और बंदी से परास्त हो अपनी जान से हाथ धो बैठे।
और एक दिन अभाव और तानों से ग्रसित और अपने मृत पिता की दुर्दशा का मान रखने अष्टावक्र जा पहुँचें राजा जनक के दरबार। वहाँ वो बंदी को परास्त कर देते हैं और तब भेद खुलता है की कैसे शास्त्रार्थ के बहाने असंख्य विद्वत जनों को वरुण लोक में चल रहे एक बारह वर्षीय महानुष्ठान में भेजा जा रहा था। बंदी की हार के बाद उन सभी को जिसमें ऋषि कहोड भी थे वापिस भारत आने का अवसर मिलता है। ऐसा हमारे मिथकों में वर्णित है।
पर शाहजी ने इस प्रसंग को आज के युग में हो रहे प्रतिभा पलायन से जोड़ कर चित्रित किया है। अनेकों कुशल युवा देश को समृद्ध करने के स्थान पर यूरोप या अमरीका जाना अपने उद्देश्य समझ रहे हैं। अवसर मिलने पर भी वापिस आना शायद उनके लिए कोई विकल्प ही नहीं। नाटक के अंत में जब अष्टावक्र बंदी से पूछते हैं की क्या वो वरुण लोक वापिस जा यहाँ की प्रतिभाओं को लौटा देंगें? तो बंदी कहते हैं:
‘’चेष्टाएँ करके देखूंगा...किन्तु लौट वे आएंगे क्या? मिष्ठानों का स्वाद लगा जिनकी जिह्वा को...वह फिर माती को टटोल कर कंद मूल पत्तियाँ और वृक्षों की छाल चबाएंगें क्या?’’
और जब वो अष्टावक्र को प्रलोभन देते हैं उस सुरमई नगरी का तो उनका उत्तर एक दिशानिर्देश है इस नव पीढ़ी के लिए:
‘’जिस माती की टेढ़ी मेढ़ी यह काया है
उस माती को छोड़-कहाँ यह सुख पाएगी?
जैसी है वैसी रहने दो, जो करना है यहीं करेगी।‘’
यही प्रेरणा स्तोत्र है इस नाटक के मंचन का। इसका कथानक पौराणिक होते हुए भी सम सामयिक है और एक सारगर्भित पौराणिक कथा को पुनः जीवित करने का एक अपेक्षित प्रयास है।
Music : Bhagwat Upreti
Director : Amit Saxena
Entry : Free (Seating on First-Come First-Served Basis)
Landmark : Next to Kamani Auditorium
Venue Info : Events | About | Nearest Metro Station - 'Mandi House (Blue Line and Violet Line) Exit Gate - 4'
Area : Mandi House Area Events
Event Description : Parvatiya Kala Kendra presents "Ashtavakra" Hindi play.
ऋषि अष्टावक्र जिन्हें अष्टावक्र गीता के रचेयता कहा जाता है यह नाटक उनके जीवन पे आधारित एक पौराणिक नाटक है। वो जीवन जो अत्यंत जटिल एवं कठिन भी था। यह नाटक दर्शाता है एक कुपोषित वक्रांगी नवयुवक अपने मनोबल से कैसी भी विकट परिस्थिति का सामना कर एक आदर्श स्थापित कर सकता है। श्री ब्रजेन्द्र शाहजी ने बहुत निपुणता से दो युगों को एक कथानक में बांध दिया। द्वापर युग के अंतिम चरण में सम्राट युधिष्ठिर को अष्टावक्र की प्रेरणा-स्तोत्र कथा सुनाई जाती है जो त्रेता युग में घटित हुई थी। यही इस मूल नाटक का प्रमुख कथानक है।
माँ सुजाता और ऋषि कहोड को एक पुत्र हुआ जो कुपोषण से ग्रसित हो वक्रांगी था। अपने परिवार का पोषण करने हेतु ऋषि कहोड तत्कालीन राजा जनक के दरबार में चल रहें शास्त्रार्थ और वाद-विवाद समारोह में जाने का मन बनाते हैं। वहाँ बंदी नामक एक महापंडित अनेकों को परास्त कर चुका था और उन्हें दंड स्वरूप एक गुप्त स्थान पर भेज दिया जाता था। धीरे-धीरे जंबू-द्वीप में विद्वानों का आभाव होने लगा। कहोड भी वहीं पहुँचें और बंदी से परास्त हो अपनी जान से हाथ धो बैठे।
और एक दिन अभाव और तानों से ग्रसित और अपने मृत पिता की दुर्दशा का मान रखने अष्टावक्र जा पहुँचें राजा जनक के दरबार। वहाँ वो बंदी को परास्त कर देते हैं और तब भेद खुलता है की कैसे शास्त्रार्थ के बहाने असंख्य विद्वत जनों को वरुण लोक में चल रहे एक बारह वर्षीय महानुष्ठान में भेजा जा रहा था। बंदी की हार के बाद उन सभी को जिसमें ऋषि कहोड भी थे वापिस भारत आने का अवसर मिलता है। ऐसा हमारे मिथकों में वर्णित है।
पर शाहजी ने इस प्रसंग को आज के युग में हो रहे प्रतिभा पलायन से जोड़ कर चित्रित किया है। अनेकों कुशल युवा देश को समृद्ध करने के स्थान पर यूरोप या अमरीका जाना अपने उद्देश्य समझ रहे हैं। अवसर मिलने पर भी वापिस आना शायद उनके लिए कोई विकल्प ही नहीं। नाटक के अंत में जब अष्टावक्र बंदी से पूछते हैं की क्या वो वरुण लोक वापिस जा यहाँ की प्रतिभाओं को लौटा देंगें? तो बंदी कहते हैं:
‘’चेष्टाएँ करके देखूंगा...किन्तु लौट वे आएंगे क्या? मिष्ठानों का स्वाद लगा जिनकी जिह्वा को...वह फिर माती को टटोल कर कंद मूल पत्तियाँ और वृक्षों की छाल चबाएंगें क्या?’’
और जब वो अष्टावक्र को प्रलोभन देते हैं उस सुरमई नगरी का तो उनका उत्तर एक दिशानिर्देश है इस नव पीढ़ी के लिए:
‘’जिस माती की टेढ़ी मेढ़ी यह काया है
उस माती को छोड़-कहाँ यह सुख पाएगी?
जैसी है वैसी रहने दो, जो करना है यहीं करेगी।‘’
यही प्रेरणा स्तोत्र है इस नाटक के मंचन का। इसका कथानक पौराणिक होते हुए भी सम सामयिक है और एक सारगर्भित पौराणिक कथा को पुनः जीवित करने का एक अपेक्षित प्रयास है।
Music : Bhagwat Upreti
Director : Amit Saxena
Parvatiya Kala Kendra was established in 1968 by Late Shri Mohan Upreti. They succeeded not only in India but across the world. He is considered responsible for having put Uttarakhand on the world’s cultural map.
THEATRE : Parvatiya Kala Kendra presents "Ashtavakra" Hindi play at The Little Theatre Group Auditorium (LTG), Copernicus Marg > 7pm on 28th & 29th January 2016
Reviewed by DelhiEvents
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Friday, January 29, 2016
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